Surguja।सरगुजा संभाग समेत राज्य की 28 तहसीलों के सूखाग्रस्त होने की आशंका के बीच भूपेश सरकार ने कलेक्टरों से रिपोर्ट तलब की है। मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने कलेक्टरों से रिपोर्ट के साथ साथ राहत कार्यों का पायलट प्रोजेक्ट भी तलब किया है। लेकिन इन सब क़वायदों के बीच यह सवाल भी उठ गए हैं कि, सूखे के डरावने हालात से हलाकान किसानों को राहत में भी क्या सियासती चश्मा से देखा जा रहा है। बीजेपी और खुद कांग्रेस के भीतरखाने से यह सवाल आरोपों की तरह आए हैं कि जानबूझकर उन इलाक़ों को इन सूखाग्रस्त की सूची में शामिल नहीं किया गया है, जिन इलाक़ों को राजनैतिक विरोधियों का क्षेत्र माना जाता है। हालाँकि प्रशासन ने ख़ासकर सरगुजा में ऐसे किसी भी आरोप को ख़ारिज किया है, जबकि जशपुर में विधायक यू डी मिंज ने वीडियो बयान जारी कर आरोपों को ग़लत करार दिया है।
क्या है मसला
सरगुजा संभाग सूखे की भयावह स्थिति का सामना करते दिख रहा है। सरगुजा संभाग के पाँचों ज़िलों में अधिकांश जगहों पर बरसात ने इस बार मेहर नहीं बरसाई है। अधिकांश जगहों पर वर्षा के आँकड़े पचास फ़ीसदी से कम है, कुछ इलाक़े ऐसे भी हैं जहां यह आँकड़ा तीस फ़ीसदी के आसपास है। लेकिन प्रारंभिक तौर पर जिन तहसीलों के नाम सार्वजनिक किए गए उनमें कई तहसीलों का नाम नदारद था, जबकि हालात वहाँ भी बदतर हैं। स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव का विधानसभा क्षेत्र की दो तहसील लखनपुर और उदयपुर, वहीं जशपुर विधानसभा की बगीचा मनोरा, जबकि कुनकुरी विधानसभा का फरसाबहार उन तहसीलों में शामिल हैं जो राज्य सरकार द्वारा जारी 28 तहसीलों में शामिल नहीं है। कुनकुरी विधानसभा का फरसाबहार इलाक़ा बीजेपी सांसद गोमती साय का गृहग्राम है जबकि बीजेपी के क़द्दावर आदिवासी नेता नंद कुमार साय भी इसी इलाक़े के हैं।
स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव के विधानसभा क्षेत्र के दो तहसीलों लखनपुर और उदयपुर को लेकर कांग्रेस के भीतरखाने ही आरोप की तर्ज़ पर यह चर्चा है कि, चुंकि यह मंत्री सिंहदेव का क्षेत्र हैं इसलिए यह इलाक़े सूखाग्रस्त की सूची में शामिल नहीं हुए। जशपुर जिले को लेकर भि यही चर्चाएँ हैं, जशपुर में तो ख़ैर बीजेपी सांसद गोमती साय की ओर से तहसीलों को शामिल नहीं किए जाने के मसले पर सीधे सवाल खड़े कर आरोप लगाया गया कि, राजनैतिक कारणों से जशपुर ज़िले की कुछ तहसीलों के नाम नहीं जोड़े गए।
हम किसानों की बात और वास्तविक स्थिति प्रशासन को पहुँचा रहे हैं - आदित्येश्वर
सरगुजा ज़िला पंचायत उपाध्यक्ष आदित्येश्वर शरण सिंहदेव जो स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव के भतीजे भी हैं, इस मसले पर यदि कोई आरोप नहीं लगाते हैं तो भी सियासती चश्मा राहत में अवरोध है, इसे आदित्येश्वर ने ख़ारिज भी नहीं किया है। लखनपुर उदयपुर मार्ग पर मौजूद कुँवरपुर बांध जिसमें नाम मात्र का पानी बचा है, उसे दिखाते हुए आदित्येश्वर ने द सूत्र से कहा
“खेत दरारों में तब्दील हैं, जो कुछ खेतों में हैं वो मवेशी लायक़ भी नहीं है, फसलों की उम्मीद तो बेमानी है। ये बांध कभी लबालब होता था, आज पानी ही नहीं है।हमें बताया गया है कि, लखनपुर में किसी एक जगह पर पानी थोड़ा बेहतर गिरा तो उसे ही पूरी दो तहसीलों का मानक मान लिया गया, जो कि सही नहीं है। हम पूरी रिपोर्ट, हालात प्रशासन को बता चुके हैं।”
आदित्येश्वर से सवाल हुआ कि क्या यह मामला सियासती है,कांग्रेस के भीतरखाने ही यह चर्चाएँ हैं। इस सवाल के जवाब में आदित्येश्वर ने कहा
“जो है.. जो भी है.. जैसा भी है.. वह बिल्कुल सामने है। लोग जो देखेंगे उस पर राय रखेंगे ही इस पर कोई रोक कैसे लगाई जा सकती है। मेरा काम है किसानों को हर सूरत राहत मिले यह क़वायद करना, और मैं यह कर रहा हूँ।”
जशपुर में यूडी मिंज का पक्ष
जशपुर ज़िले में आरोपों के सीधे निशाने पर आए कुनकुरी विधायक यू डी मिंज ने वीडियो पर बयान जारी किया है, और सफ़ाई पेश की है। यू डी मिंज ने आरोपों को ख़ारिज किया है,और आश्वस्त किया है
“मैं खुद किसान हूँ, मैं ऐसे मसलों पर ऐसी राजनीति नहीं करता, ऐसे आरोप सिरे से ख़ारिज करने लायक़ है। पूरे जशपुर में किसान परेशान हैं, और सभी की रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी जा रही है”
सरगुजा जिला प्रशासन ने कहा
अंचल में सूखे के हालात का खुद जायज़ा लेने लगातार दौरा कर रहे और खेत में जाकर किसानों से संवाद करने के दौरान कलेक्टर कुंदन कुमार ने द सूत्र से कहा
“सरगुजा में हम हर तहसील का जायज़ा ले रहे हैं, बरसात नहीं है और किसान परेशान है,हर जगह का नजरी आकलन और बरसात की अद्यतन रिपोर्ट ली जा रही है, उदयपुर हो लखनपुर हो या लुंड्रा का इलाक़ा हो या फिर सीतापुर का। किसानों को राहत मिले और जल्द से जल्द मिले ज़िला प्रशासन इसके लिए हर आवश्यक कदम उठा रहा है।मुख्यमंत्री जी के स्पष्ट निर्देश है किसानों को यथाशीघ्र राहत पहुँचाई जाए, हम वही काम कर रहे हैं”